Search

Planet Earth

Wednesday, 09-October-2024
....

....

Login form

Aryanblood

ad


श्री भैरव चालीसा, आरती Lord Bhairav mantra / chalisa - Forum

[ New messages · Forum rules · Search · RSS ]
  • Page 1 of 1
  • 1
श्री भैरव चालीसा, आरती Lord Bhairav mantra / chalisa
ManuDate: Monday, 27-June-2011, 5:19 PM | Message # 1
--dragon lord--
Group: undead
Messages: 13929
Status: Offline


Lord Bhairav is an fierce incarnation of Lord Shiva.The term Bhairava means “Terrific”. He is often depicted with frowning, angry eyes and sharp, tiger’s teeth and flaming hair, stark naked except for garlands of skulls and a coiled snake about his neck. In his four hands he carries a noose, trident, drum, and skull. He is often shown accompanied by a dog. Lord bhairav’s worship is very useful to win over your enemies, success and all materialistic comforts. It is very easy to please lord Bhairav by doing normal worship daily. Lord Bhairav guard the Lord Shiva temple, due to which He is called “Kotwal” also. Batuk Bharav is the most worshipped form of Bhairav in tantra.

भय का हरण करे, वह भैरव – भयहरणं च भैरव:।

Lord Bhairav protects, removes all obstacles, cleans the soul with his sheer intensity and makes things favourable for a sadhak. He is one of the most feared deities, but actually, he is one of the most rewarding.The vahana (vehicle) of Lord Bhairava is the dog. Dogs (particularly black dogs) were often considered the most appropriate form of sacrifice to Bhairava, and he is sometimes shown as holding a severed human head, with a dog waiting at one side, in order to catch the blood from the head. Feeding and taking care of dogs is another way of showing our devotion to Lord Bhairava.


भैरव चालीसा

श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥
जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव जय हारी । जयति काल भैरव बलकारी ॥
जयति सर्व भैरव विख्याता । जयति नाथ भैरव सुखदाता ॥
भैरव रुप कियो शिव धारण । भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुन है भय दूरी । सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो । काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटाजूट सिर चन्द्र विराजत । बाला, मुकुट, बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरु बाजत । दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्हो । कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली । दीन्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन । जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा । कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत । अष्टसिद्घि नवनिधि फल पावत ॥
रुप विशाल कठिन दुख मोचन । क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत । बं बं बं शिव बं बं बोतल ॥
रुद्रकाय काली के लाला । महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा । श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रुप प्रकाशा । भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन । व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सु‌आनन ॥
तुमहि जा‌ई काशिहिं जन ध्यावहिं । विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय । जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोकन स्वान साथ जय । बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
महाभीम भीषण शरीर जय । रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय । श्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय । गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय । क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय । कृत्या‌ऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर । चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत । चौंसठ योगिन संग नचावत ।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा । काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा । नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जाकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा । बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो । सदा कृपा करि काज सम्हारयो ॥
सुन्दरदास सहित अनुरागा । श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो । सकल कामना पूरण देख्यो ॥

जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥


* use Ctrl + C to copy text
 
ManuDate: Monday, 27-June-2011, 5:21 PM | Message # 2
--dragon lord--
Group: undead
Messages: 13929
Status: Offline
आरती श्री भैरव जी की

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।

जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥ जय ॥

तुम्हीं पाप उद्घारक दुःख सिन्धु तारक ।

भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥ जय ॥

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।

महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ जय ॥

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।

चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥ जय ॥

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।

कृपा करिये भैरव करि‌ए नहीं देरी ॥ जय ॥

पांव घुंघरु बाजत अरु डमरु जमकावत ।

बटुकनाथ बन बालकजन मन हरषावत ॥ जय ॥

बटकुनाथ की आरती जो को‌ई नर गावे ।

कहे धरणीधर नर मनवांछित फल पावे ॥ जय ॥


swastika

* use Ctrl + C to copy text
 
ManuDate: Tuesday, 12-July-2011, 9:37 AM | Message # 3
--dragon lord--
Group: undead
Messages: 13929
Status: Offline

img link (open, right click save) -
http://www.aryanblood.org/imp/bhairav-chalisa01.jpg

untotenreich
 
ManuDate: Tuesday, 12-July-2011, 9:39 AM | Message # 4
--dragon lord--
Group: undead
Messages: 13929
Status: Offline
श्री भैरव चालीसा Lord Bhairav chalisa pdf -
download11
Attachments: bhairava40.rar (19.6 Kb)
 
aryaDate: Sunday, 18-November-2012, 0:34 AM | Message # 5
--dragon lord--
Group: Users
Messages: 4401
Status: Offline


Types of Bhairava
Bhairav Sahastranam
Batuk Bhairav Sahastranam
Kal Bhairav astakam
Bhairav Mantras & Yantra
Bhairav Chalisa and aarti
Bhairav 108 Name
Bhairav Stuti
Bhairav Temples
>> >> http://www.bhairav.org/home.html




Message edited by arya - Sunday, 18-November-2012, 0:35 AM
 
  • Page 1 of 1
  • 1
Search: